नमस्कार दोस्तो "HINDI ME SEX STORIES" में आपका स्वागत है| आशा करता हु आप सबको"कम्मो दुधवाली और गांव पार्ट-1" जरुर पसंद आयी होगी| तो ,इसीलीये एक बार फीर से आप सबके लीये, मैं हाज़ीर हूं लेकर"कम्मो दुधवाली और गांव पार्ट-2"
पार्ट - 2
- पार्ट - 2
कल्लू अपनी मां के पीछे-पीछे चल रहा था| उसकी नज़र...उसकी मां के मोटे और चौड़ी गांड पर थी, जो चलते समय कभी इधर तो कभी उधर ठुमक रहे थे|
उसे उसकी मां की गांड उत्तेजीत कर रही थी| और उसके ज़हन में सीर्फ एक सवाल घर कर के बैठी थी की, आखीर मां साडं वाली इतनी गंदी बात कैसे कर सकती है? और वो चंदू को देखकर ही ये बात क्यू बोल रही थी? कही मां और चंदू....??...नही..नही...मां ऐसी नही है|
मैने आज तक उनके बारे में कुछ गलत नही सुना...लेकीन फीर मां ऐसी बाते वो भी चंदू को देखकर....क्यूं??
कल्लू अपने मन में ही , अपनी मां के चरीत्रो का सवाल खड़ा कर लीया था और वो कीसी भी प्रक्रार के नीर्णय पर नही पहुचं पा रहा था|
तो उसने ख़ुद से ये नीर्णय लीया की, वो कुछ दीनो के लीये अपनी मां पर नज़र रखेगा|
चंदू घर से बाहर नीकल कर कहीं जा रहा था| तभी कम्मो उससे पुछती है- कम्मो- कही जा रहा है क्या बेटा? चंदू- हां अम्मा वो मैं, चंपा काकी के घर जा रहा था!!
कम्मो- क्यूं कोयी काम था क्या?
कम्मो ने मुस्कुराते हुए पूछा....!
चंदू- नही अम्मा, वो मैं पैसे लेने जा रहा था..दुध के|
कम्मो खाट पर से उठ कर, चंदू के पास आकर बोली-
कम्मो- ठीक है! लेकीन थोड़ा जल्दी आना....सरला की भैसं ही उसके लीये सांड भी छोड़ना है|
कम्मो इतना कहने के बाद...मुस्कुरा देती है| इस बात पर अपनी अम्मा को मुस्कुराता देख..चंदू भी शरमा जाता है और अपना सर नीचे करके बोला-
चंदू- ठीक है अम्मा...जल्दी आ जाउगां!!
उसके बाद चंदू चंपा के घर की तरफ नीकल देता है| चंदू चंपा के घर पर पहुचं कर बाहर से ही आवाज़ लगाता है| चंदू- चंपा काकी...ओ काकी..?? अंदर से एक लड़की बाहर नीकलती है, और चंदू को देखते ही
मानो उस लड़की की आखों में चमक आ जाती है| वो चंदू को देखते ही बोली-
"हाय रे मेरे राजा....तुम तो जैसे इद का चांद हो गये हो! कभी अपनी बुलबुल का हाल भी पुछ लीया करो?
चंदू उस लड़की की बात सुनते ही..अपना सर नीचे झुका कर बोला-
चंदू- देखो सुधा तुम ऐसी बाते मत कीया करो...तुम एक लड़की हो!!
चंदू की बात सुनकर...सुधा मुस्कुरायी , और धीरे से अपना हाथ चंदू के कधें पर रख देती है|
सुधा के इस बर्ताव पर...चंदू एकदम घबरा जाता है,और वो सुधा का हाथ अपने कधों पर से हटाते हुए वहां से हड़बड़ी में नीकल जाता है|
सुधा वही खड़ी हाथ पे हाथ धरे मुस्कुराते हुए अपने मन में ही बोली-
सुधा(मन में)- हाय रे मेरे शर्मीले राजा....कभी तो नज़र मीलाओ??
चंदू की धड़कने तेज़ हो गयी थी| वो जल्दी-जल्दी अपने कदम घर की तरफ़ बढ़ा रहा था| वो जैसे ही अपने घर पहुचां तो सीधा अंदर घुस गया..बाहर बैठी कम्मो भी नही समझ पायी की क्या हुआ??
चंदू सीधा अपने कमरे में जाता है और जाकर खाट पर लेट जाता है| खाट पर लेटे-लेटे उसे सुबह का दृश्य नज़र आता है, जब उसकी मां अपनी साड़ी जांघ तक चढ़ा कर अपना एक हाथ साड़ी के अंदर डाली थी...! चंदू अपनी मां की मांसल जाघं का नज़ारा याद करते ही,बहुत जोश में आ जाता है|
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई, कम्मो कमरे के अंदर आती है और आकर खाट पर चंदू के बगल में बैठ जाती है| अपनी मां को देख चंदू भी उठ कर खाट पर बैठ जाता है|
कम्मो एक दफ़ा चंदू को देखी और बड़े प्यार से बोली-
कम्मो- क्या हुआ चंदू बेटा? तू कुछ परेशान लग रहा है...क्या बात है?
अपनी मां की बात सुनकर, चंदू को कुछ समझ नही आया की इस बात पर वो क्या जवाब दे| फीर भी चंदू ने कुछ सोचा और फीर झट से बोला-
चंदू- क.....कुछ नही अम्मा , वो मै बस ऐसे ही लेटा था|
कम्मो ने सोचा की कही ये उस बात पर तो हैरान नही जब इसने मुझे अपने बुर में उगलीं करते हुए देखा था|
कम्मो ने सोचा की क्यूं ना इस पर चंदू से बार कर लेते है|
इससे पहले की कम्मो कुछ बोलती....उससे पहले ही चंदू ने बोला-
चंदू- अरे अम्मा तुम सांड छोड़ने वाली थी ना, भैस के लीये!
कम्मो ने चंदू की बात को सुनते हुए कहा-
कम्मो- हां छोड़ने वाली तो थी, लेकीन लगता है तू अभी परेशान है शायद!
चंदू खाट पर से उठते हुए बोला-
चंदू- नही अम्मा कोयी परेशानी नही है, चल मैं साड को छोड़ता हूं तू भैसं को बरामदे में लेकर चल!
उसके बाद चंदू कमरे से बाहर नीकलता है और एक पेड़ की तरफ़ जाता है, जंहा पर उसका सांड बधां था|
कम्मो भी सरला की भैसं को खूटे से छोड़कर , बरामदे में लेकर जाती है और एक खूटें में बाधं देती है तब तक चंदू भी सांड को लेकर बरामदे में पहुचं जाता है|
सांड ने भैसं को देखते ही , वो भैसं के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है| ये देख कम्मो थोड़ा मुस्कुरा देती है...| सांड , भैसं के पीछे खड़ा था और वो भैसं के बुर को अपना जीभ नीकाल कर चाटने लगता है|
सांड को ऐसा करते देख...कम्मो एक नज़र चंदू पर डालती है, इत्तेफ़ाक से चंदू भी उसी समय अपनी मां पर नज़र डाल देता है और दोनो की आखें चार हो जाती है| चंदू को तो शर्म आ जाती है....|
तभी कम्मो के पास आते हुए बोली-
कम्मो- बेटा तू भैसं की पूछ को पकड़ कर थोड़ा बगल कर दे...ताकी सांड को अपना हथीयार घुसाने में आसानी हो|
कम्मो ये बात बेबाकी से बोलते हुए...मुस्कुरा रही थी| और अपने बेटे चंदू का चेहरा देख रही थी...!
और इधर चंदू अपनी मां के मुह से ऐसी बात सुनकर तो मानो जैसे उसके होश ही उड़ गये हो|
चंदू बीना कुछ बोले ही वो भैसं के नज़दीक जाता है और भैसं की पूछ पकड़ कर उसके भोसड़े से दूर कर देता है|
सांड भैस का भोसड़ा अपना पूरा जीभ नीकाल कर उस पर फेरता , जीसे देखकर कम्मो की जाघों के बीच सुरसुरी मच जाती है|
और इधर चंदू का भी हाल कुछ ऐसा ही था, उसके लंड ने भी शीरकत की...|
सांड के लगातार चाटने की वज़ह से भैस के भोसड़े से पेशाब की मोटी धार छुट जाती है...जीसे देखकर कम्मो इतनी उत्तेजीत हो जाती है की, उसका हाथ उसके बुर पर पहुचं जाता है और साड़ी के उपर से ही वो अपने बुर को सहलाने लगती है| तभी चंदू की नज़र जैसे ही अपनी मां पर पड़ती है |
वो अपनी मां को अपना बुर सहलाते देख उसकी हालत खराब हो जाती है...|
कम्मो हलके-हलके अपने हाथो को साड़ी के उपर से ही अपने बुर को सहला रही थी |
अपनी मां की इस कामुक हरकत पर...चंदू के शरीर में झुनझुनी फैल गयी, उसका गला सुखने लगा और धड़कने बढ़ने लगी| कम्मो ने एक नज़र चंदू की तरफ देखा तो, चंदू के चेहरे की रंगत उड़ चुकी थी| कम्मो को समझते देर नही लगी की...चंदू ने मुझे मेरी खुज़ाते हुए शायद देख लीया|
कम्मो के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आ जाती है...|
और इधर सांड भी, सरला की भैस के उपर चढ़ कर उसे रौदतें हुए अपना बीज़ भैस के भोसड़े की गहरायी में भर कर खड़ा था और हाफं रहा था|
तभी कम्मो, चंदू की तरफ़ देखते हुए बोली-
कम्मो- चंदू, ले जा साडं को खुटें से बाधं कर कुछ चारा डाल दे...थोड़ा बहुत खा लेगा तो ताकत आ जायेगी तब फीर एक बार इसे...भैसं की सवारी करा देगें|
अपनी मां की बात सुनकर....चंदू भैस की रस्सी पकड़ कर, बरामदे से बाहर नीकलते हुए अपनी मां की बेबाक और कामुक भरी बातो के बारे में ही सोच रहा था|
और इधर चंदू जैसे ही बरामदे से बाहर नीकलता है, कम्मो अपनी साड़ी के अंदर हाथ डाल देती है|
कम्मो की दो उगंलीया सीधा उसके बुर घुस जाती है....उगलीं घुसते ही कम्मो को एहसास हुआ की, उसकी बुर से रस टपक रहा है|
कम्मो ने अपनी उगलींयो को जोर सें पूरा अपने बुर के घुसा देती है....उसकी उगलीयां बुर में समुचा घुसते ही,कम्मो के मुह से मादक भरी सीसकरी नीकल पड़ती है|
कम्मो- स्स्स्स्स्ई....आ......ह.....माई..ई....रे....|
कम्मो का चेहरा देखकर...लग रहा था की, उसे आनंद की अनुभूती हो रही है|
ईसीलीये कम्मो ने अपनी उगुलीयों को तीन से चार बार जोर-जोर से अँदर बाहर की और फीर अपनी सारी नीचे करके बरामदे से बाहर आ जाती है|
कहानी जारी रहेगी....कृपया कमेंट के माध्यम से कहानी के बारे में अपनी राय जरुर दे....
To be continewed....