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chut ki chudai



प्रेषिका: रीया,

हैलो फ्रेंड्स, इस कहानी में आप पढ़ेंगे की, कैसै मेरी चूत चुदाई - chut chudai हुई, मेरी बुर की चुदाई - bur ki chudai हुई| कीस तरह एक कुवांरी लड़की की चूदाई kunwari ladki ki chudai हुई | तो बीना समय को वेस्ट कीये चले चलते हैं सीधा स्टोरी पर...

chut ki chudai

दोस्तो मेरा नाम रीया है। मैं उत्तर-प्रदेश के कानपुर शहर की रहने वाली हूँ! अभी मेरी उम्र 39 साल की है! लेकीन ये कहानीं तब की हैं जब मैं 19 साल की थी| उसी उम्र में मेरी पहली बार चूत की चूदाई हुई; उसके बाद से तो मुझे चूत चूदाई का चस्का ही लग गया|


उस दीन मेरे घर पर, मेरे दीदी की शादी थी| मेरे घर पर बहुत मेहमान आये हुए थे| उन्ही मेहमानो में एक थे, मेरे फूफा जी| मेरे फूफा जी दीखने में काफ़ी हट्टे-कट्टे थे| अक्सर वो जब कभी भी हमारे घर पर आते थे, तो मुझे बहुत घूर-घूर कर देखते थे| और ये बात मैने नोटीस भी की थी, मगर कभी भी उतनी तवज्जो नही दी थी|

शादी वाले दीन, सब लोग काम में बीज़ी थे| मैं अपने रुम में अपनी कुछ सहेलीयो के साथ बैठी बाते कर रही थी, की तभी मेरी बुआ वहां पर आ जाती है। और मुझसे बोली की जाकर फुफा जी को खाने के लीये पूछ लूं|

मैं अपने रुम से नीकल कर, सीधा छत वाले कमरे की तरफ़ बढ़ी| और जैसे ही मैने दरवाज़ा खोला, तो जो देखा उसे देख कर मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी| मेरे फुफा जी ने मेरी पैंटी को अपने हांथो में लीये, उसे सूंघ रहे थे| और एक हाथ से अपने पैंट के उपर से ही, अपना लंड मसल रहे थे| तभी उनके मुह से जो आवाजें नीकली...उसे सुन कर तो मेरी कानो पर भरोसा ही नही हुआ|



वो मेरी पैंटी को सूंघते हुए बोल रहे थे...आह...रीया. तू कीतनी मस्त है! कब अपनी चूत की चूदाई -chut ki chudai अपने फूफा के लंड से करवायेगी| तूझे पता नही की तेरी याद में मैं पागल हो जाता हूँ!

मेरी तो कुछ समझ में नही आ रहा था| फीर अचानक ही याद आया की, इस लीये फूफा जी अक्सर मुझे घूर-घूर कर देखते रहते थे| अब उनकी नीयत समझ में आयी। की फूफा जी तो मेरी बुर की चुदाई - bur ki chudai करने के पीछे पड़े हैं। एक kunwari ladki ki chudai करने के लीये पागल है|

खैर, मै ये सब सोंचते हुए कमरे में दाखील हो गयी! मुझे सामने देखते ही, फूफा जी के चेहरे का रंग ही उड़ गया| मेरी पैंटी अभी भी उन्ही के हांथो में थी| ये देख कर मेरी चूद पर चींटीयां रेंगने लगी थी| अपनी चूत में उंगलीया डाल-डाल कर मैं भी थक चूकी थी| और मेरा भी मन अब लंड से चूदने का कर रहा था| और आज वो मौका मुझे मीला गया था|

और ये मौका मैं गवाना नही चाहती थी| और वैसे भी फूफा जी का लंड भी तो मेरी chut ki chudai करने के लीये तड़पर रहा था| मैने मौके का फायद उठाते हुए, थोड़ा गुस्सा होते हुए बोली की-ये आप क्या कर रहे है फूफा जी? और ये तो मेरी पैंटी हैं!आप के पास कैसे? आप बहुत गंदे हो, मैं अभी जा कर सब को आप की करतूत बताती हूं!

मेरी गुस्से से भरी आवाज सूनकर, फूफा जी की गांड फट गयी। जो उनके चेहरे को देख कर पता चल रहा था| और फीर मैं बनावटी गुस्सा लीये जैसे ही जाने के लीये घूमी| फूफा जी ने बेड पर से उठते हुए मेरा हांथ पकड़ते हुए मुझे खींच कर अपनी बाहों में भर लीया| और गीड़गीड़ाते हुए कहने लगे - प्लीज रीया मुझे माफ़ कर दे, ये बाते कीसी को मत बताना! नही तो मैं कीसी को मुह दीखाने लायक नही रहुंगा|


फूफा जी की गीड़गीड़ाहट सुनकर, मैं अंदर ही अंदर खुश होने लगी| उन्होने मुझे अपनी बांहों में मज़बूती से ज़कड़ा हुआ था| जीसके वज़ह से मेरी बड़ी-बड़ी चूंचीयां उनके चौंड़े सीने में धंस कर चीपक गयी थी| मैं खड़ी-खड़ी उनसे थोड़ा और चीपक गयी...जीसके वजह से मुझे उनका लंड अपनी चूत पर साफ साफ महसूस होने लगा|

अब मेरी भी चूत फूदकने लगी थी| मैने उनकी आँखो मे देखते हुए मासूम बनकर बोली- ठीक है फूफा जी! नही बताउगी| लेकीन एक शर्त है|

उन्होने कहा कैसी शर्त? मैने कहा- अगर आप मेरी चूत चाटोगे तो, मैं कीसी को नही बताउगीं! ये सुनकर फूफा जी की आंखों में चमक आ गयी और बोले-

सीर्फ चाटुगां ही नही, तू कहे तो तेरी चूत की चूदाई भी कर दूं?

ये सुनकर मैं थोड़ा शर्मायी फीर बोली- नही...नही फूफा जी! मेरी चूत बहुत छोटी है! आप से चुत चुदाई करवाउगीं तो, आप फाड़ कर रख देगें!

अब फूफा जी के लंड में ताकत आने लगी थी| जीसे मैं अपनी चूत पर साफ महसुस कर सकती थी| इतना इशारा काफी था फूफा जी के लीये, उन्होने मेरे होठो को चूसना शुरु कर दीया!

मुझे भी मजा आ रहा था तो, मैं भी उनका सांथ देने लगी| तभी मुझे खयाल आया की, अगर कोई छत पर आ गया तो? मैने फूफा जी को रोकते हुए; जल्दी से छत के सीढ़ीयों का दरवाज बंद कीया और फीर वंही नंगी हो कर सीधा कमरे में आयी तो...


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हम दोनो की आंखे फटी की फटी रह गयी! मैं भी पूरी नंगी थी और फूफा जी भी...!

ये देख कर हम दोनो मुस्कुरा पड़े! मैं झट से जाकर बेड पर लेटते हुए, अपनी टागें खोल दी...मेरी कुंवारी बुर फूफा जी के सामने थी| वो तो मानो जैसै पगला गये और झट से अपना मुह मेरी चूत पर रख कर चूसने लगे|

मैं तो मज़े में पागल हो गयी! फूफा जी मेरी चूत को ऐसे चूस रहे थे की पूंछो मत, कभी चूत में जीम डाल देते तो कभी...चूत के दानो को चुभला देते! मैं आह...आह..करती रही। ज्यादा बर्दाश्त ना कर पायी...फूफा जी ने 10 मीनट तक ऐसी चूत की चूसाई की, की मै हांफते हुए झड़ गयी|

मेरा पूरा पानी...फूफा जी ने चाट लीया| और अगले पल ही अब उनका लंड भी बर्दाश्त से बाहर था|

मैं भी अपनी चूत की चूदाई करवाने को मरी जा रही थी| फूफा जी ने अपने लंड को मेरी चूत के मुह पर सेट कर के हल्का धक्का दीया तो, उनके लंड का टोपा मेरी चूत में समा गया-

दर्द से मैं कराह उठी...! मगर अगले ही पल वो मेरे उपर लेट गये! और कुछ देर तक मेरी चूंचीयों को मसलने और चूसने लगे-

मुझे भी मजा आने लगा था| मैं अब रुक नही पा रही थी। और फूफा जी से लंड अंदर घुसा कर चूत की चूदाई करने के लीये गीड़गीड़ाने लगी|

फूफा जी भी तो यही चाहते थे| लंड का टोपा तो पहले से ही मेरी चूत में था| उन्होने करारा झटका दीया और मेरी चूत को फाड़ते हुए उनका लंड अंदर घूस गया-

मेरी आँखों के सामने तो अंधेरा छा गया| मुझे इतना दर्द हो रहा था की...मैं जोर-जोर से चील्लाने लगी| और फूफा जी से लंड बाहर नीकालने की भींख मांगने लगी|

मगर फूफा जी कहां छोड़ने वाले ठहरे! उन्हे तो आज एक कुवांरी लड़की की चुदाई करने का मौका जो मीला था| बेरहम फूफा जी पर मेरी रोने और गीड़गीड़ाहट का कोई असर नही हुआ...

उन्होने एक झटका और मारा फीर दूसरा फीर तीसरा! मै तो अकड़ कर रह गयी! ऐसा लगा अब मर जाउंगीं...इतना दर्द हो रहा था|

मै जोर-जोर से रो रही थी! भींख मागं रही थी छोड़ देने के लीये...!

फूफा जी अब धक्का नही लगा रहा थे! मेरी चूंचीयों को चूस रहे थे! कुछ 10 मीनट तक मेरी चूत में वैसे ही गहराई में लंड पेले, मेरी चूंचीयों को चूस-चूस कर मसल-मसल कर लाल कर दीया!

नीचे तो जान जा ही रही थी, मगर अब उपर चूंचीयों में भी मज़े के साथ-साथ दर्द उठने लगी थी|

फूफा जी ने फीर से लंड को धीरे-धीरे अंदर बाहर करते हुए चुत की चूदाई करने लगे! मैं दर्द से एक बार फीर रोने लगी! मगर इस बार फूफा जी नही रुके!

करीब 5 मीनट तक दर्द को झेलने के बाद, अब राहत महसूस करने लगी थी| उनका लंड भी आराम से ले पा रही थी| मगर दर्द फीर भी हो रहा था...मगर मजा भी आने लग था| तो दर्द को भूल गयी...

धीरे-धीरे फूफा की रफ्तार बढ़ने लगी! और मेरा आनंद भी...जब भी फूफा जी का लंड अंदर मेरी चूत की गहराईयो तक जाता तो, एक अजीब सी मस्ती की लहर दौड़ पड़ती...

अब तो मैं भी धीरे-धीरे नीचे से अपनी गांड उठाकर अपनी चूत की चूदाई करवाने लगी थी....

मुझे इतना ज्यादा मस्ती चढ़ गयी और मज़ा आने लगा था की, पूछो मत! मैं चील्लाते हुए और जोर से चूत चुदाई करने के लीये कहने लगी-

फूफा जी भी जोश में आकर इतनी जोर-जोर से बुर की चूदाई करने लगे की...लगा चूत फाड़ कर रख देगें!

मैं चील्ला रही थी...पूरे कमरे में मेरी चूत की चूदाई का संगीत और मेरी मस्त चींखे ही गूंज रही थी|

करीब 20 दमदार चूदाई के बाद, मुझे ऐसा लगा की, मेरा शरीर अकड़ रहा है, आंखे पलटने लगी थी! वो मस्ती की लहर मेरे शरीर में दौड़ी की खुद मे ही ना रही!

मैने जोर से फूफा जी को अपनी बांहो में जगड़ लीया...मेरे चूत का पानी नीकलने वाला था| ये देख कर फूफा जी ने भी हुमच-हुमचना चालू कर दीया-

और 5 से 6 जोरदार धक्को में चील्लाते हुए झड़ने लगी। और कुछ धक्को में ही फूफा जी के लंड ने भी मेरी चूत की चूदाई करते हुए लावा उलगने लगा था...



मैं और फुफा जी दोनो हांफ रहे थे| दोनो को ही असीम आंनद का सुख हुआ था| इस तरह फूफा जीने कुवारी लड़की की चूदाई करते हुए मेरी सील बंद चूत को खोल दीया! और मेरी चूत की चूदाई - chut ki chudai की...

meri ye kahani kaisi lagi, comment kar k zarur bataye...

thank you

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