गाँव की प्यासी घोड़ीयां - भाग ३
गन्ताक से आगे:
ये सुनकर, मीना थोड़ा मुस्कुरायी और बोली-
मीना-" झूठ...काहे बोल रहा है? दीन-रात सुधीया की कुटायी कर तो रहा है, और वो भी मेरा नाम लेके|"
मीना की बात सुनकर, जुबेर ने मीना के हांथो को पकड़ते हुए बोला-
जुबेर-" लेकीन तू नही दे रही है ना भौजी! इसी बात का गम है| सुधीया की कुटायी तो तेरा नाम ले कर इस लीये करता हूँ की, मैं उस वक्त सोंचने लगता हूँ की, तोहरी बुर कीतनी प्यारी होगी भौजी?"
जुबेर-"कीतनी कसी और फूली होगी! ये सोचकर ही पगला जाता हूँ|"
जुबेर के मुह से ऐसी बात सुनकर, मीना शरम से लाल हो जाती है...और धीरे से बोली-
मीना-"इतना काहे सोचता है? मन है तो देख ले मेरी बुर|"
ये बोलकर, मीना मारे शरम के अपना सर नीचे झूका लेती है| और इधर जुबेर को तो जैसे अपने कानो पर भरोसा ही नही हुआ...
जुबेर-"हाय रे भौजी...!सच मे| इतना काहे तड़पा रही थी फीर, पहले काहे नाही दीखा दी?"
मीना जुबेर की तरफ़ देखते हुए मुस्कुराकर बोली-
मीना-"पहले तूने कभी बोला ही नही! तो कैसे दीखाती? मैने तूझे सीर्फ कुटायी करने के लीये मना कीया है| बाकी सब चीजो के लीये नही|"
जुबेर को अपने कानो पर यक़ीन नही हो रहा था| उसे लगा की वो सपना देख रहा है...वो कुछ बोलता उससे पहले ही मीना बोल पड़ी...
मीना-"अच्छा ज्यादा सोंच मत, कल थोड़ा जल्दी घास काटने आ जाउगीं फीर दीखा दूंगी तूझे| अभी मुझे देर हो रही है...मैं जाती हूं|
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बल्लू घर के आँगन में खाट पर लेटा था| वो बस रात होने का इंतज़ार कर रहा था, ताकी वो फीर से एक बार अपनी माँ की मस्तानी गांड और बुर सहला सके! ये सोचते ही बल्लू के लंड ने झटके पर झटके देने शुरु कर दीये|
नयी जवानी चढ़ रही थी| 19 साल के बल्लू का लंड इस उम्र में ही ८ इंच तक का हो गया था| ना जाने आने वाले समय में और कीतना बढ़ेगा?
बल्लू खाट पर लेटा ही ये सब सोच रहा था की, तभी उसकी माँ की आवाज़ उसके कानो में गूंजी...
"फूलवा कहा गयी...बल्लू बेटा?"
ये सुनते ही, बल्लू झट से खाट पर उठ कर बैठ जाता है| और एक नज़र अपनी माँ के खुबसूरत बदन को देखने लगता है| बल्लू के इस तरह देखने से, मीना को कल रात वाली बात याद आ जाती है...की, कैसे? बल्लू उसकी बुर-चूत को सहला रहा था|
ये सोच कर ही, मीना की बुर एक बार फीर फड़फड़ाने लगती है| और शरम से चेहरा लाल होने लगता है...
बल्लू-"उ...दीदी रधीया काकी के इंहा गयी है...अम्मा|"
मीना-"ई लड़की भी ना...अंधेरा होने को आया है और, अभी तक ये घूम ही रही है|"
मीना अपनी बात अभी पूरी भी नही की थी की...
"अरे...का हुआ अम्मा? काहे चील्ला रही हो? थोड़ा घूम-टहल लीया तो कौन सा पाप कर दीया?"
मीना ने मुड़कर देखा तो, आँगन के दरवाज़े पर उसकी बेटी रधीयां खड़ी थी| रधीया भी एक-दम टंच माल थी, बील्कुल अपनी मां की तरह| 20 साल की उमर में उसके बदन की गढ़न, कीसी के भी लंड में जान फूंक दे| नीले रंग की कमीज़ में रधीया की सुड़ौल छातीया मानो दम तोड़ रही थी| और आज़ाद होना चाहती थी...
उसके गांड की बनावट तो लंड का कांड कर जाये ऐसी थी| उसके बढ़ते हुए बदन को गौर से देख रही मीना ने सोचा-
"जवान हो गयी है...जल्द से जल्द हांथ पीले करने पड़ेगें! नही तो हरजाई कुछ कांड ना कर जाये" ये सारी बाते सोंचते हुए मीना ने कहा-
मीना-"अरे मैं घुमने-टहलने के लीये थोड़ी मना कर रही हूँ! मै तो बस ये कह रही थी की...खाना बनाने के समय भी तू घर पर नही है|"
मीना-"ये ले सब्जीयां, और जा-कर खाना बना|"
रधीया, अपनी माँ के हांथो से हरी सब्जीया लेते हुए, रसोंइ घर की तरफ़ चल देती है|
मीना, भी घर के कामों में लग जाती है| आज उसकी बुर में बहुत तूफ़ान उठ रही थी| एक तो ये सोच-कर की आज़ रात बल्लू क्या करने वाला है? और दूसरा ये की, कल वो जुबेर को अपनी बुर दीखाने वाली है|
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रात के 9 बज़ रहे थे| जुबेर अपने ठीकाने पर था, सब्जीयों की देखभाल के लीये| छोटे से मकान में एक खाट बीछी थी, खाट बगल में ही एक पाटी लगी थी| जीस पर चीलम, गांजा, माचीस, बींड़ी और तेल की शीशी रखी हुई थी|
वो खाट पर लेटा था, की तभी दरवाज़ा खुला, और एक औरत घर के अंदर दाखील हुई, उसके हाँथों में खाने की थाली थी| वो औरत छोटे कद-काठी की मांसल देंह वाली सांवले रंग की जान पड़ रही थी|
छोटी कद-काठी में उसका बदन काफी सुड़ौल था| लाल रंग के ब्लाउज़ में तनी उसकी चूंचीयों मादक लग रही थी| साड़ी में छीपे उसके गांड भी काफी चौंड़ी लग रही थी| उस औरत को देखकर जुबेर बोला-
जुबेर-"आज इतनी देर काहे हो गयी...रे?"
वो औरत खाने की थाली को पाटी पर रखते हुए बोली-
"क्या करुं? तुम्हारी छोंरीयां जब घूमने से फूर्सत पायें तो ना|"
जुबेर-"खाना खा के आयी है तू?"
ये सुनकर उसकी लूगाई ने पूछा-
"क्यूँ...?"
जुबेर-"आज रात यहीं रुकना है तूझे! नही खायी है तो, आजा सांथ में खा ले थोड़ा|"
जुबेर की लूगाई की तो, मानो खुशी से बांछे खील गयी हो जैसे...उसने सोचा- चलो आज तो कुटाई होगी ज़मकर, लेकीन अगले ही पल वो नखरा करते हुए बोली-
"काहे...आज लूगाई की याद कैसे आ गयी? उ हरजाई सुधीया नही आयी का?"
ये सुनकर जुबेर थोड़ा गुस्सा करते हुए बोला-
जुबेर-"मादरचोद...जीतना बोला है, उतना कर! ज्यादा जबान मत लड़ाया कर|"
जुबेर की उंची आवाज़ सुनकर, उसकी लूगाई सकते में आ गयी| और अपनी साड़ी उतारते हुए बोली-
"नही...मुझे भूख नही है! खा लो|"
वो औरत अब तक अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगी हो चूकी थी| और पाटी पर रखी तेल की शीशी उठा कर, खाट पर बैठ जाती है| और अपनी सफाचट बुर पर तेल की शीशी में से तेल को नीकालते हुए...उस पर रगड़ने लगती है|
बीत्ते भर की बुर थी, उसकी! छेंद भी काफी बड़ा लग रहा था| देख कर ही पता चल रहा था की जुबेर ने तबीयत से उसकी बुर ठोकी है|
जुबेर खाना खाते हुए, अपनी लूगाई की सफाचट बुर देखकर...उसका लंड खड़ा होने लगता है| उसकी बुर पर लगे तेल से, अब तक उसकी बुर चीकना गयी थी| और फांके भी काफी खुल गयी थी...
जुबेर-" गांड पर भी रगड़ ले तेल!"
ये सुनकर उसकी लूगाई बोली-
"गांड मे नही जी...! बहुत बुरी तरह मारते हो, बहुत दर्द करता है|"
जुबेर-"जीतना बोला है...उतना कर साली"
वो औरत भी कुछ ना बोल सकी, और तेल को हांथों में लगाते हुए...गांड पर भी रगड़ने लगती है|
जुबेर अब तक खाना खा चूका था...और एक बींड़ी जलाकर, कश लेते हुए खाट पर लेट गया था| वो औरत अब तक पूरी तरह से तेल लगा चूकी थी|
उसने जुबेर की लूंगी को खींचते हुए अलग कर दीया| उसके सामने जुबेर का मोटा लंड ८ इंच का पड़ा था| ये देखकर उसकी आंखों में चमक आ गयी...! और हाथ से पकड़ते हुए उस पर तेल लगाने लगती है|
जल्द ही जुबेर का लंड, खड़ा हो कर सलामी देने लगता है| जुबेर का मोटा लंड इस तरह खड़ा देख, उसकी लुगाई की बुर में ख़ुज़ली मच उठती है| और बीना देरी के वो सीधा जुबेर के लंड के उपर आ जाती है, और हाथ से पकड़ कर लंड को अपनी बुर पर सेट करते हुए, लंड पर बैठ जाती है...
देखते ही देखते पूरा का पूरा लंड उसकी बुर की गहराईयों में उतार लेती है....और उछलने लगती है|
"आ...ह्ह्ह्ह्ह्...मजा...आ...गया, उस रंडी सुधीया की भोंसड़ी खा-खा कर...आह...कीतना मोटा हो गया है...आह...उम्म्म्म्मह..."
उसकी लूगाई मस्ती भरी आवाज नीकालते हुए सीसकने लगती है| वो लगातार जुबेर के लंड पर अपनी गांड उठाये...उपर नीचे करते हुए जुबेर का पूरा लंड लेती और मज़े करती|
क्रमश: