गांड उठा के पेला माँ की झांटेदार चूत

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गांड उठा के पेला माँ की झांटेदार चूत/mom son incest sex story in hindi


प्रेषक:वीजय,

हाय फ्रेंड्स मेरा नाम वीजय है। मैं दील्ली के एक कंपनी में सुपरवाईज़र की पोस्ट पर काम करता हूँ। ma ki moti gaand pakad kar chut chudai ka maza

मेरी उम्र २३ वर्ष की है। गांव में मेरे घर में मेरे बाबू जी, और मेरी माँ रेखा दो सदस्य रहते है। गाँव में खेती-बाड़ी करते हुए मेरे बाबू जी, जमकर देसी दारु का सेवन भी करते है। मेरी माँ रेखा सांवले रंग की भरी बदन की औरत है। बड़ी-बड़ी गांड तो उसकी साड़ीयों में भी कयामत ढा देती थी। और चूंचीयां तो जैसे दूध का घड़ा हो।


4२ साल की उम्र में भी पूरी की पूरी मस्त औरत लगती है। झूंठ नही बोलूंगा दोस्त, मेरी माँ बहुत ही चुदक्कड़ कीस्म की औरत है। १६ साल की उम्र में ही मुझे मेरी माँ का रंडीपन का पता चला था। जब मैं मेरे मौसा जी के घर गया था, माँ को लेकर, और अरहर के खेत पे मैने मौसा जी को माँ की चुत की चूदाई करते हुए चोरी से देखा था। मौसा जी मेरी माँ की झांटो वाली चूत को पेल-पेल कर मजे ले रहे थे, और माँ भी अपनी गांड उठा के नीचे से पेल रही थी। उसके बाद मैने मेरे मामा जी को भी माँ को चोदते हुए देखा था। मामा जी माँ को घोड़ी बना कर उनकी घनी झाँटेदार चूत में अपना लंड पेल कर चोद रहे थे। मैने पहली बार अपनी माँ की चौड़े कुल्हे और गोलाई दार बड़ी गाँड के दर्शन कीये थे। कसम से माँ की गांड इतनी बड़ी थी की, मामा जी माँ की गाँड सहलाते हुए उनकी चुदाई कर रहे थे और सबसे बड़ा झटका मुझे तब लगा, जब नाना जी को माँ की चूत को मारते देखा...

मेरा बूढ़ा नाना भी मेरी माँ की झांटदार चूत का दीवाना था। ऐसे चाट रहा था अपनी ही बेटी की चूत को की क्या बताऊँ? मन तो कर रहा था की अभी जा कर मैं भी अपनी माँ की झांटो से भरी चूत में मुह लगाकर पूरा खा जांउ अपनी माँ की चूत को।

क्या बाताऊँ दोस्तो? अपनी माँ की चुदाई का ऐसा नज़ारा देख कर तो मैं, अपनी माँ का दीवाना हो गया। मेरी मस्त माँ दील और टांगें दोनो खोल कर चुदवाती, मगर जब मैं सेक्स की ज्यादा जानकारी से वाकीफ़ हुआ, तो मुझे पता चला की...बहनचोद वो सब लोग तो बस अपने लंड का पानी मात्र ही मेरी माँ की रसीली और फूली हुई झांटेदार चूत में नीकालते थे। कभी मेरी प्यारी माँ की ठीक से चुदाई तो कर ही नही पाये थे। साले लोगों का लंड था या पतझड़ के मौसम में टहनी से टूटी हुई लकड़ी। कहां से शुरु होता था और कहाँ खत्म हो जाता था पता ही नही चलता था ।


मुझे मेरी माँ के इस कारनामें से कोई गीला-शीकवा नही। उसके भी जज्बात थे, जो पूरा करने के लिए शायद उसने ऐसे कदम उठाए, आख़िर वो भी तो एक औरत थी। लेकिन वो बेहन के लौंड़े मेरी माँ को वो खुशी दे ही नही पायें। तभी मैने ख़ुद से वादा कीया था की, मेरी माँ की सूखी बंज़र ज़मीन पर हरीयाली मैं ही लेकर आउगां॥ अपनी माँ की ऐसी चूदाई करुगां की उसकी चूत का भोंसड़ा बना कर रख दूगां॥ और गांड उठा कर पेलूगां अपनी माँ की झांटेदार चूत को

गांड उठाकर माँ की झांटेदार चूत की मूत नीकाल दूंगा। ये सब सोचते हुए ही। १९ वर्ष की आयू से ही, मैं हरी सब्जीयों का सेवन करने लगा। पालक, मूली, मेथी, गाजर, आदी और सूबह-सूबह उठ कर खाली पेट लहसून की दो कली शहद के सांथ खाने लगा। ब्यायाम भी करना शुरु कर दीया, और दीन भर में खूब पानी-पीता । रात को सोने से पहले देसी घी से अपने लंड पर मालिश करता और हस्तमैथून पर काबू करने लगा। सेक्स में ज्यादा देर तक अपनी माँ की ज़मकर चुदाई कर सकूं इस वजह से, अपने मन में कोई गंदे वीचार को सोंचता भी नही था।


दोस्तो ऐसी ही दीनचर्या मैं रखता गया, और आज मेरा सेक्स के उपर पूरी तरह से काबू पा लीया है। ये जानने के लिए मैने ऐसे ही एक रंडी को पैसे देकर चोदने के लिए मनाया। दोस्तो मैने उसकी वो चूदाई की, की वो मुझसे पैसा लेना ही छोड़ दी...


घंटो तक उसकी बजाता, और उसकी बजा-बजा कर मुझे महारथ भी हांसील हो चूकी थी। अब मेरे लिए सबसे बड़ा टार्गेट था। और वो थी मेरी माँ रेखा। कैसे करुगाँ? कैसे पटाउगाँ? कुछ नही पता! माँ है मेरी वो, क्या वो चुदवायेगी मुझसे? उस बेटे से जीसको उसने जन्म दीया। पता नीही! शायद हो भी जाता, पर २ साल पहले, जब माँ नाना, मामा, और मौसा जी से चुदवाती थी। मगर २ साल पहले ही माँ ने ये सारे काम बंद कर दीये थे। मैने चोरी-छीपे देखा भी है कि, मामा और मौसा जी गीड़गीड़ाते थे की एक बार चोदने दो, मगर माँ ने कहा की...अब उसका मन नही करता ये सब करने को, और उसे मज़ा भी नही आता...


मतलब माँ और उन सब के बीच सारे नाज़ायज़ रिश्ते खत्म हो चूके थे। और माँ की बातो से ऐसा प्रतीत हो रहा था की, मानो अब माँ की सेक्स में रुचि भी खत्म हो गयी है। अगर ऐसा हुआ, तो फीर मेरे लिए मा को चोदना मतलब बीच्छू के डंक को पकड़ने के बराबर था।



गांड उठा कर पेला माँ की झांटेदार चूत



खैर मैं अब पीछे हटने वाला नही था। मेरी आँखों के सामने आज भी माँ की वो मस्तानी लंबी कमली झांटोवाली चूत नाचती रहती है। उसका कामुक अंदाज़ में चूदवाते समय टांगों को फैलाना...हाय क्या बताऊं?


मगर इन सब से परे, मैं अपनी माँ से बहुत प्यार भी करता था। क्यूंकि मेरी माँ मुझे अथाह प्यार करती थी। वैसे माँ के लिए तो, दुनीया की हर माँ के दील में बेटे के लिए प्यार की कोई थाह नही। मगर क्या होगा? जब उस माँ को पता चले की, जीसे वो इतना प्यार करती है वो बेटा ही उसे चोदने आश लिए बैठा है?


बहुत अज़ीब लगेगा ना? शायद इस अजीब शब्द को कीसी दुसरे शब्द में ढ़ालना मुमकीन नही....


खैर, मै तो अब अपनी कंपनी छुट्टी भी ले ली थी...१ महीने की छुट्टी। कल ही घर जाने वाला हूँ । ख़ुद से कीया हुआ वादा पूरा करने! कैसे करुंगा ? कैसे एक बेटा अपनी माँ की चूदाई कर सकता है? कुछ पता नही। ये जानने के लिए पढ़िएगा मेरे अगले पार्ट को!


और इस पार्ट गांड उठा के पेला मा की झांटेदार चूत की चुदाई के शुरुवात के बारे में कुछ टीप्पड़ी जरुर करें खुशी होगी....


धन्यवाद....

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