हैलो फ्रेंड्स मेरा नाम आदीत्य है। मैं २२ साल का हूँ। ६ फीट की हाईट है, और जीम करना मेरा शौक। काफी अच्छी बॉडी भी बनाई है।
दील्ली शहर में मेरा घर है।
मेरा घर थोड़ा बड़ा है, रहने वालो की भी कमी ना थी।
मेरे घर में मेरे पापा नीतेश उम्र ४५ साल, ट्रांसपोर्ट का बीज़नेस है। तो ज्यादातर घर से बाहर ही रहते है।
मेरी माँ, रुपाली उम्र ४0 वर्ष खुबसूरत औरत, ३८ ३0 ४0 का फीगर जो लंड में आग लगा दे, पर थी घरेलू और संस्कारी औरत। १२वीं तक पढ़ी है।
मेरा भाई रीषभ उम्र २१ साल, माँ पर गया है, तो गोरा और काफी हैंडसम भी है। हाईट भी अच्छी खासी है।
मेरी बहन ‟पीहू उम्र २१ साल” हाय मेरे दील की धड़कन, बला की खूबसूरत परी थी एकदम परी। ३६ २८ ३८ का हॉट फीगर जो कीसी को भी पागल कर दे। पर मेरी इससे ज्यादा बनती नही थी। पता नही क्यूँ मुझसे झगड़ा ही करती रहती थी।
मेरे मामा ‟धीरेन उम्र ४0 साल” मेरे पापा के सांथ ही काम करते थे तो, हमारे घर पर ही रहते थे।
मेरी मामी ‟संगीता उम्र ३८ साल” गोरी-चीट्टी मस्त सी दीखने वाली भरी सी औरत। इसका फीगर भी माँ की तरह ही था। पर गांड माँ से थोड़ी छोटी थी।
प्रीया ‟मामा की बेटी” उम्र २0 साल, अपनी माँ पर ही गयी है। इसके मम्मे काफी बड़े है।
बींदीया ‟मामा की छोटी बेटी” उम्र १८ साल। फुल सी लड़की। एकदम भोली और मासूम बच्ची जैसी। हालाकी १८ साल की हो गयी है। जवानी की दहलीज़ पर पाँव रख चुकी है। संतरे भी नीकल आये है, पर बीहैवीयर अभी बच्ची जैसी ही है।
और अब मैं...घर का लाडला
आदीत्य ‟उम्र १९ साल” सांवला रंग पर अट्रेक्टीव लूक। आज ही बोर्डींग से १२वी नीकाल कर आया हूँ। हॉस्टल में लड़कियों की उम्मीद तो थी नही। तो लंड की मालीस कर कर के, १0 इंच का बना लीया था। ४ इंच मोटा तो पहले से ही था। मालीश के वजह से २ इंच और मोटा हो गया।
भयानक लंड के सांथ आया था, घर पर। मुझे मेरी माँ की गांड बहुत पसंद थी, पर साली थी घरेलू औरत पता था काम नही बनेगा।
घर पर दीन अच्छे से बीत रहा था। कभी माँ की मस्तानी गांड देखकर तो कभी मामी की चूंचे देखकर। और ज्यादातर अपनी खुबसूरत बहन की शक्ल देखकर!
आज मेरे घर में फंक्शन था। क्यूँकी आज दो लोगो का बर्थ-डे था। एक मेरे भाई का और दूसरा मेरी प्यारी सी दीदी का। क्यूँकी दोनो जुड़वा थे। उस दीन पापा और मामा काम के चलते शहर में नही थे। जीससे माँ काफी गुस्सा थी उस दीन।
माँ ‟गुस्से में”— इनको भी ना, जब देखो काम-काम ही लगा रहता है। बच्चो के जन्मदीन के दीन भी घर पर नही रह सकते है।
माँ को गुस्से में देख मैने सोंचा मौका अच्छा है, क्यूँ ना माँ को मनाने के बहाने बाहों में पकड़ लूं॥ और ये सोंच कर मैं अपनी जगह से उठा ही था की, मादरचोद मेरा भाई चांस मार गया। वो माँ को अपनी बाहों में भर लीया-
भाई— ‟अरे माँ क्यूँ गुस्सा करती है? बोला था ना पापा ने की, शाम तक आ जायेगे! अब गुस्सा थूंक दे बहुत सी तैयारीयां करनी हैं।”
और ये कहते हुए मादरचोद भाई ने माँ के फुले हुए गाल पर एक कीस भी कर देता है। जीससे माँ मुस्कुरा पड़ती है। मेरी तो गांड ही जल गयी।
खैर उस दीन घर पर सारी तैयारीयां करने के बाद, रात के नौ बज़े सब तैयार हो गये।
घर के बाहर बड़ा सा गॉर्डन था हमारा। और आज वो गॉर्डन चगमगा रहा था। बाहर टेबल के चारो तरफ चेयर लगे थे। मेहमान, रीश्तेदार और पड़ोंसी भी आ गये थे।
बस हमारा खानदानी परीवार नही आया था। जो की गाँव में रहते है। उसका रीज़न ये था की मेरे ताऊ यानी बड़े पापा की बेटी का भी आज बर्थ-डे था। तो वो सब गाँव में सेलीब्रेट कर रहे थे।
खैर सब लोग तो आ गये थे। स्टार्टर भी शुरु हो गया था। मैं भी एक अच्छा सा पैज़ाम कुर्ता खरीदा था तो, आज वही पहन लीया। मुझे पैजामा कुर्ता पहनने का शौक था। जो मैने आज पुरी की थी। क्या पता शायद ये पैज़ामा कुर्ता मेरे उपर जंच रहा था या नही।
पापा ने भी वही पहेना था। मामा और भाई भी वही पहने थे।
पर तभी मेरे घर की परीयां बाहर नीकली। मैं सब को देख कर हैरान था। मेरी बहन पर से तो मेरी नज़र ही नही हट रही थी।
रेड लहगें में इतनी प्यारी लग रही थी की क्या बोलु? मन कर रहा था की अभी जाकर पकड़ कर चूम लूं।
मेरे मामा की बेटी प्रीया
और
बींदीया का भी रुप खीला था।
पर जब मैने अपनी माँ और मामी को देखा तो सकते में आ गया। मैं तो सोंच भी नही सकता था की, ये लोग इस तरह की साड़ी पहनेगीं॥ मेरी मा तो जैसे उपर से पूरी नंगी थी। ब्लाउज़ था या कुछ और...ये देखें!
पूरी पीठ नंगी गोरी-गोरी बहुत ही हॉट लग रही थी।
और मेरी मामी क्या बोलू यार खुद ही देख लो...
मामी भी इतनी हॉट है, ब्लाउज में से उतावले चूंचे देखकर तो, मेरा लंड अकड़ने लगा। और उम्मीद थी की और बहुत से लोगो के लंड खड़े हो गये होगें।
थोड़ी देर सबसे मीलने के बाद, रात के १0 बजे केक कटा। भाई और पीहू दी ने एक सांथ केक काटा। उसके बाद तो लोग डी. जे की धुन पर नाचने-कूदने लगे। मेरे पापा अपने दोस्तो के साथ मशगुल थे। मेरी माँ अपनी सहेलीयों के साथ। और मेरी बहन लोग अपने फ्रैंड्स के सांथ।
मैं अपनी बहन पीहू दी को ही देख रहा था। की तभी दी ने मुझे देखा तो वो नाचती-नाचती खड़ी हो गयी है। वो मुझे ही देख रही थी और मैं उनको। कुछ देर यूँ ही एक-दूसरे को देखने के बाद। मैने देखा की पीहू दीदी मेरी तरफ ही चली आ रही थी।
मेरी तो धड़कने बढ़ गयी। वो मेरे एकदम नज़दीक आकर बोली-
पीहू— ‟ऐसे क्यूँ देख रहा है तू?”
मैं— ‟वो...वो, दी तूम बहुत खुबसूरत लग रही हो तो ऐसे ही नज़र पड़...”
मैने अपनी बात पूरी भी नही की थी की, मेरे गाल पर दी का जोरदार तमाचा पड़ गया।
मुझे कुछ समझ नही आया की ये सब क्या? मैने नज़र इधर-उधर घुमा कर देखा तो कुछ लोग हमारी तरफ ही देख रहे थे। माँ और उनकी सहेलीयां भी हमे ही देख रही थी।
पीहू— ‟तू मुझे मत देखा कर, जलन होती है मुझे तुझसे।”
मैं— ‟ओके दीदी! एंड सॉरी।”
ये बोलकर दीदी वापस डांस फ्लोर पर जाकर अपने फ्रेंड्स के सांथ नाचने लगी। मेरा मूड ऑफ हो गया था। मैं दम मारने के लीए घर के अंदर घुस गया। सोचा की छत पर जाकर दम मार लू कोई देखेगा भी नही।
सीढ़ीयों से चढ़ते-चढ़ते जब छत के दरवाजे पर गया तो। देखा की छत का दरवाजा छत के साईड से लॉक है। मैं समझ नही पा रहा था की क्यूँ? मगर इतना जरुर समझ गया था की, अगर दरवाज़ा लॉक है तो, जरुर कोइ ना कोइ है। मगर कौन?
मैने कुछ सोंचा और तभी मुझे दरवाजे के बगल में उठी हुई सीलींग दीखी। मतलब दीवार जो छत को चारो तरफ से घेरने के लीये बनाई गयी थी। इस साईड से मुझे बहुत ही मामुली जगह मीली। जो मैं घर की दीवारों पर जा सकूं॥ मगर रीस्की था , छोटे-छोटे मुक्के थे। बस । अगर हांथ छुटता तो सीधा दो मंजीला से नीचे जमीन पर।
पर मेरे अंदर की बेचैनी ने मुझे उकसा दीया। दीवाल के बने मुक्को को पकड़ और पैर रख कर, मैं छत की सीलीगं पर आ गया। और फीर सावधानी से बीना आवाज कीये, सीलीगं पर से नीचे उतर कर छत पर आ गया। मैं छत की जमीन पर नीचे लेट गया, और अपने हाथ के कुहनीयों के सहारे, बाथरुम के वाटर टैंक की तर चला।
साला ऐसा लग रहा था, मानो मीलेट्री की ट्रेनींग पर हूं। मैं वाटर टैंक के पास आकर छुप ही था की, मेरे कानो में कीसी की सीसकारने की आवाज़ आयी। आवाज़ कीसी औरत की थी। मैं उस तरफ देखा तो, मेरे होश ही उड़ गये। छत की जमीन पर एक मेट्रेस बीछा था। उस मेरी संगीता मामी लेटी थी। और मेरा भाई उनको बेतहाशा चूम-चाट रहा था।
मेरी तो कुछ समझ में नही आ रहा था की तभी...
मामी— ‟आह...रीषभ, खा जायेगा क्या मेरी चूचीयां? उफ...माँ, धीरे कर ना। कहीं भागी थोड़ी जा रही हूँ ।”
भाई— ‟आउउउम्ह...मामी! आज तो तू बहुत हॉट लग रही है। मैं खुद को रोक नही पा रहा हूँ।”
तभी मेरे भाई ने मामी का ब्लाउज खोल दीया। मामी ने ब्रा नही पहना था। जीसके वजह से उनकी गोरी-गोरी मोटी चूंचीया बाहर आजाद हो गयी। और मेरा भाई उसे पागलो की तरह चूसने लगा।
मामी की मस्त चूंचीया देख कर तो, मेरे भी पसीने छूट गये थे। मगर मज़ा तो साला मेरा चूतीया भाई ले रहा था।
मामी— ‟आह...रीषभ , चूस ले बेटा। आह ये मम्मे तेरे लीए ही तो है। आह्ह्म...तूझे नही पता की, तेरे मोटे लंड के लीए तेरी मामी की चूत हमेशा रोती रहती है। आह रीषभ...चोद दे अब। डाल दे तेरा डंडा।”
भाई— ‟हां मामी, अभी डालता हूँ मैं अपना मोटा डंडा।”
और ये कहते हुए मेरे भाइ ने पज़ामा नीकाल फेंका। और नंगा हो गया। साले का ७.५ इंच का लंबा और ३ इंच का मोटा होगा।
उसने झट से मामी की साड़ी को कमर तक उठाया। मामी की मस्त दुधारु गोरी और हेल्दी जांघे देखकर, मेरे अंदर ना जाने कैसी तुफान उठ पड़ी। उपर से जब भाई ने, उनकी टांगे उठा कर मोड़ी तो।
उफ्फ...क्या चूत थी? साली फूली हुई एक दम साफ, चूत की दोनो मोटी फांके खुल कर अलग हो गयी।
भाई ने जैसे ही, लंड घुसाना चाहा, उनके फोन की घंटी बजी। भाई ने फोन तो रीसीव नही कीया, और उठ कर छत के दरवाजे के पास जाने लगे।
मैं हैरान था की, अब भाई कहां जा रहा है! इससे पहले की मैं कुछ और सोंचता! भाई ने दरवाजा खोल दीया। और जो मैने देखा, मेरे सर से आसमान खीसक गया।
मैने देखा माँ अपनी साडी जांघो तक उठाई हुई खड़ी थी। और मामा अपना लंड पीछे से उनकी चूत में घुसाये पेल रहे थे।
मुझे मेरी आँखों पर यकीन नही हो रहा था। मेरी भोली भाली माँ, सीधी सी दीखने वाली ऐसी है। बाप रे...
मेरा तो दीमाग काम करना बंद कर दीया था। मैने देखा भाई ने फीर से दरवाजा बंद कर दीया। और मामी के पास आकर अपना खड़ा लंड उनकी चूत में सटा कर एक जोर का झटका मारा...और पूरा लंड मामी के चूत के अंदर।
मामी— ‟आ...ई...ई...मां, एक बार मे ही घूसा दीया..आह..चोद दे फाड़ डाल।”
और इधर मामा माँ को चोदते हुए चले आ रहे थे। माँ भी अपनी साड़ी उठाये धीरे-धीरे चुदवाते भाई और मामी की तरफ बढ़ी आ रही थी। क्या मोटे-मोटे केले के तने जैसे मेरी माँ की जांघे थी। और गांड के दोनो कुल्हे तो इतने चौंड़े थे की पुछो मत।
माँ अब धीरे-धीरे चलकर मेट्रेस पर आ कर घोड़ी बन गयी।
उफ माँ की इतनी चौंड़ी गांड। ओह गॉड...॥ मेरा तो मुह खुला का खुला रह गया।
इधर भाई ताबड़ तोड़ ठप...ठप...ठप की आवाज से। मामी की चूत की धज्जीया उड़ा रहा था। और एक तरफ मामा भी, माँ के कमर को पकड़े दना-दना पेलने लगे।
माँ और मामी की मजे से भरी सीसकारीयां फूटने लगी।
करीब १0 मीनट तक भाई और मामा ने जमकर चोदा। इस बीच मामी दो बार झड़ चूकी थी। तभी...
माँ ने भाई को अपने उपर आने को कहा- भाई उठने लगा तो। मामी ने भाई को जकड़ लीया। मामी नही चाहती थी की भाई उनके उपर से उठे।
माँ— ‟बस कर रंडी, दो बार तो झड़ चूकी है। अब मेरी भी चूत का तो खयाल कर। इसके लंड का तो पता ही नही चलता।”
ये सुनकर मामी ने भाई को छोड़ दीया। अब भाई अपना साढ़े सात का ठंडा लीए माँ की तरफ रुख मोड़ दीया। और मामा मामी की तरफ...मैने देखा मामा का लंड करीब-करीब ६ इँच का होगा। २.५ इंच मोटा।
मामा ने अपने लंड को मामी की चूत पर सेट कीया और मंथन चालू कर दीया। और उधर भाई ने भी माँ के दोनो भारी चुतड़ो को पकड़ कर अलग करते हुए अपने लंड को माँ की घरेलू चूत में गहराई तक उतार दीया।
माँ— ‟आआईईईईईई...मम्मी! जीता रह बेटा! अब चोद हुमच-हुमच कर अपनी माँ की चूत को। और झाड़ दे मेरा पानी।”
भाई— ‟आह...माँ, कीतनी कसी है तेरी चूत। आह...बहुत मजा आता है तूझे चोदने में। आह..आह्ह्हा। एक बार अपनी गांड दे दे मां, प्लीज।”
माँ— ‟उह...बेटा, ह्ह्ह्हुम्म्म्म्म आह...आह। ये गांड का ताज तेरे भाई के लंड पे सजेगा। बेटा। याद रख आह...आह...जीतना हक तेरा मुझ पर है। उतना ही हक आदी का भी है।”
मामी— ‟आह...सही कहा दीदी। मैने भी अपनी गांड का सुराख, आदी के लीए ही बचा कर रखा है। नही तो ये आह...मम्मी...ये...ये और रीषभ तो कब की मेरी गांड मार लेते।”
इस समय मुझे इतना गुस्सा आ रहा था की, मै बता नही सकता। मुझे पता नही था की ये इतनी बड़ी रंडीयां है। रंडी लोगो ने अपनी गांड मेरे लीए बचा कर रखी है। अरे रंडीयो, मैं ऐसी रंडीयों पर मूतू भी ना। मन तो कर रहा था की, डंडा उठाकर इतना मारुँ की...
तभी मैने देखा, मामा झड़ कर मामी के उपर लेट कर हांफ रहे थे। और इधर मेरा भाई भी अपनी स्पीड बढ़ा दीया था। माँ भी चील्लाने लगी थी।
भाई जोर-जोर से माँ को चोदते हुए उनके गांड पर थप्पड़ बरसाने लगा। और लास्ट के एक करारे धक्के में वो अपना पूरा जोर लगाये माँ की चूत में अपना लंड ठूंसे। पानी छोड़ने लगा...
थक हार कर, चारो रंडी और भंड़वा लोग लेट गये थे। भाई और मामा सीगरेट पी रहे थे।
माँ— ‟आह...आज तो मज़ा ही आ गया। क्या चुदाई हुई है।”
मामा— ‟वो सब छोड़ दीदी...पहले ये बता की, पीहू की चूत कब मीलेगी? कसम से नींद नही आती दीदी।”
मामी— ‟पहले जो चूत है, उसे तो ठीक से चोदी नही जाती! चले हो कुंवारी चूत चोदने।”
भाई— ‟अरे...मामी, ठीक ही तो कह रहे है मामा! तू बता ना माँ, कब मीलेगी पीहू की चूत! सच में पागल हो जा रहा हूँ मै।”
एक पल के लीए मुझे गुस्सा तो आया, इन झांटू लोगो के मुह से पीहू का नाम सुनकर। मगर आज़ पीहू ने सब के सामने थप्पड़ मार कर, अपनी इज्जत मेरे दील से उसने नीकाल दी। अब चाहे वो कीसी की रंडी बने या रखैल कोई परवाह नही।
माँ— ‟अरे...कमीनो, कीतनो को दीलाउं मैं अपनी फूल सी जैसी बेटी की चूत को। उधर इसके पापा भी कह रहे थे की, मेरे लीए पीहू को सेट कर दो। क्या करूँ मुझे तो कुछ समझ में नही आ रहा है।”
अच्छा अब चलो देर हो रही है। इसके बारे में बाद में सोचेगें! अगर हमारे ग्रुप चुदाई के बारे में तेरे पापा को या फीर आदी को चला ना, तो खैर नही हमारी।
उसके बाद वो सब लोग नीचे पार्टी में चले गये। ठंढ ठंढी हवाएं चल रही थी। मैने घड़ी देखा ११ बज़ रहा था। मेरे दीमाग में अभी भी ये सब घटना चल रही थी। जीसे मेरा दील मानने को तैयार नही था। आज जो मैने घरेलू चूत और लंड की लड़ाई देखी थी। उस पर मैं सोंचने बैठ गया था।
दोस्तो उम्मीद करता हूँ, स्टोरी का ये पार्ट जरुर पसंद आया होगा। कमेंट कर के जरुर बतायें...